वशीकरण करने के गुपत बिधि और उपाय
वशीकरण करने के आज बहत सारे उपाय और मंत्र बताने बाला हू ।ये सब आसानी से आपलोग कर सकते हे
वशीकरण करने के मंत्र और उपाय
मन्त्र: ॐ ऐं पुरं क्षोभय भगवतीं गम्भीरय ब्लू स्वाहा ।
इस मंत्र को स्थिरचित्त होकर एकचित्त स्थिति में . २० हजार जप
करे और तब _ वशीकरण कार्य हेतु उद्यत हो जाये। इस स्थिति में उसके दर्शन
मात्र से _ समस्त व्यक्ति क्षोभित हो जाते है
विदारी तथा वट की जटा को जल के साथ घर्ष॑ण करे । तदनन्तर उसे
विभूति के साथ मिश्रित करके ललाट पर तिलक लगाये । इस तिलक से
सर्वेलोक को वशीभुत
किया जाता है ।
पुष्य नक्षत्र में पुननेवा की जड़ और रुद्रदन्ती ( रुदन्ती ) की जड़ लाकर .
जौ के बीज के साथ एकत्र करके उक्त
मंत्र :ॐ ऐं पुरं क्षोभय भगवतीं _ गम्भीरय ब्लू स्वाहा' से ७ बार अभिमंत्रित करके उसे हांथ में बाँध लेने पर . सर्वेत्र पुजनीय हो
जाता है । यह मन्त्र २०००० जप से सिद्ध होता है ॥
वायु से जो पत्र उड़कर आता है, वह पत्ता, मजीठ, कंकुभ ( अंजुंन ) की छाल तथा
तगर की लकड़ी को तुल्य परिमांण में मिलाकर मर्दन करके
जिसके खाद्य अथवा चाय में मिलाकर दिया जायेगा अथवा जिससे इसका स्पर्श कराया
जायेगा, वह व्यक्ति वश में हो जायेगा ॥
सर्बा लोक वशीकरण करने का उपाय
पुष्य नक्षत्र में कण्टकारी की जड़ लाकर कटि में बाँधने से वह व्यक्ति पृथ्वी में सबका प्रिय हो जाता हैं। कृष्ण चंतुर्देशी तिथि के निशाकाल में शमशान में उगे महानीली वृक्ष के जड़ की बत्ती को मनुष्य-शरीर के तैल द्वारा _ जलाये । उससे बने हुए अंजन को आँखों में लगाने से वह व्यक्ति समस्त _ लोक को वशीभूत कर लेता है ॥
पुष्य नक्षत्र में जब चंन्द्रनाड़ी ( इड़ा ) में श्वास प्रवाहित हो रहा हो, उस समय ब्रह्मदण्डी की जड़ को लाकर जिसे भी भोजन में मिलाकर दिया जाता है, वही व्यक्ति बंशीभूते हो जाता है। यह सभी प्राणियों के लिए उपयोगी वशीकरण
सुधी साधक उलूक-हृदय का मांस, घीकुआर तथा गोरोचन को समान मात्रा में ले । उसके द्वारा अंजन बनाकर नेत्र में लगाने से त्रैलोक्य वशीभूत हो- जाता है।
ॐ नमो महायक्षिणि अमुकं में बश्यमानय स्वाहा ।
इस मन्त्र को. उपयुक्त समस्त प्रयोगों में प्रयुक्त करना आवश्यक है ।दश हजार जप
करने पर. यह मन्त्र सिद्ध होता है।
जितने भी प्रयोग कहे गये हैं, उन समस्त प्रयुक्त वस्तुओं को प्रंयोगा्थ
१०० बार इस मन्त्र से पवित्र करने से सिद्धि मिल जाती इसे: दस -हजीर जार
जपना नहीं होगा ।
ॐ ऐं स्वाहा ।।
समस्त
मन्त्र का ध्यान तथा जपसंख्या अलग-अलग कही जाती है । जिस मन्त्र की संख्या
जितनी निश्चित है उस मन्त्र का उतना ही जप करना चाहिए ।
जहाँ कोई भी संख्या का अंकन नहीं है, वहाँ दस हजार जप किया जाता है।
मृगशीरा नक्षत्र में रक्तवर्ण वाले करवीर ( कनेर ) के वक्ष की जड़ को लाकर उससे
एक नवांगुल कील बनाये । इसे “ॐ ऐं स्वाहा' मन्त्र से सात बार अभिमंत्रीत
करे । अब जिसका नाम लेकर जमीन में गाड़ा जाय वह वशीभूत हो जाता है। यह मन्त्र
दस हजार बार जपने से सिद्ध होता है ॥
वशीकरण करने काम देब मंत्र
ॐमदनकामदेवाय फट स्वाहा ।
अपामागे के जड़ की तीन अंगुल की कील बनाये । इस कील को
“ॐ'मदनकामदेवाय फ़ट स्वाहा” मन्त्र द्वारा
सात बार अभिमंत्रित करे ।अब इसे . जिसके गृह में फेंका जायेगा, वह वशीभूत
होगा।
इसी मन्त्र को १०८ बार जपकर इससे मानव सिद्ध हो जाता है। उक्त .
वशीकरण करने का प्रयोग 11.
अपामागं की जड़ को पीसकर तिलक करने से सबको वशीभूत किया जा . सकता है ॥
पीरियड के कपड़ा से वशीकरण
शनि किंवा मंगल वार को स्त्री के रज: को कपड़े में लेकर तिराहे पर उस वस्त्र को दग्ध करे । इस दग्ध वस्त्र के भस्म द्वारा ललाट पर तिलक धारण करने से सर्व लोक बसीभूत हो जाते हे।
कृष्णपक्ष की. चतु्देशी को लांगली मूल लाकर उससे सफेद ( बकरी ) के गर्भशय्या में नरतैल, मधु तथा हरिताल मिलाकर मले उसका तिलक लगाये । इससे सभी वशीभूत हो जाते हैं ॥
घोड़े की गर्भाशय से करे वशीकरण
अजमोदा वृक्ष की जड़ तथा गर्भवती घोड़ी की गर्भशय्या को एक साथ मर्दन करके उसमें हरिताल का भी मर्दन करे । इसकी गुटिका बनाये । गुटिकां को मुख में रखकर जिससे जिस वस्तु की कामना करंगा के उस वस्तु. को दे देगा। गुटिका बनाकर तथा उसके मुख में रख मन्त्र पढ़ें-
ॐ अश्वकर्णेश्वरि दुर्बल आइकेशिकजटाकलापे ढक्कारफेत्कारिनी स्वाहा ।
इस मंत्र को पढ़ते हुए वटपत्रं मयूर शिखा सम परिमाण घिसके तिलक लगाने से सर्वलोग वशीभूत हो जाते हे।
पैर पौधा से करे महा वशीकरण
विष्णक्रान्ता ( कृष्ण अपराजिता ), भुंगराज की जड़, गोरोचन, पर ( सहदेई ) तथा स्वेत अपराजिता की जड़ को एक साथ गिसकर कुमारी कन्या की हात में लेप करे तिलक कर के हाथ में लेप करे । इसके बाद इस लेप का तिलक लगाने से सर्व लोग वशीभूत हो जाते हे।
रक्त अश्वमार ( लाल करवीर ) के फूल, कुठ, सफेद सरसों, सफेद आकन्द की जड़, तगर,
सफेद घुमची ( गुंजा ) तथा वारुणीमुल को पुष्यनक्षत्र की कृष्णाष्टमी अथवा पुष्य
नक्षत्र की कृष्ण चतुर्दशी को एक साथ मिलाकर पीस लेना चाहिए । इसके बाद
उसका लेप कुमारी कंन्या की हथेली पर करे
इसके बाद इसका तिलक ललाट पर धारण करने से सभी वशीभूत हो जाते हैं।
अपामार्ग
की जड़ तथा गोरोचन को एक साथ मिलाकर कन्या की हथेली
पर मर्दन करके
उसका तिलक लगाने से तीनों लोक का वशीकरण होजाता है।
ॐ नमो वरजालिनि सर्वेलोक बाष्यांकरी स्वाहा” ।
पुर्वोक्त प्रयोगों में “ॐनमो वरजालिनी सर्वेलोक बाष्यांकारी स्वाहा' मन्त्र
द्वारा समस्त वस्तुओं का अभिमंत्रण करे । लेपन, तिलक तैयार करने तथा लगाने में
यही मन्त्र जपे । १००८ जप से सिद्धि होती है । इसका तिलक लगाने से राजा तक
वशीभूत हो जाते है।
वशीकरण करने का प्रयोग 19.
उल्लू से करे महा वशीकरण
उलूक के चक्षु को गोरोचन में गिस्कर जल के साथ पिलाये। जो पीता है, वह वश में हो जाता है।
उल्लू के दोनों कान, गौरैया के नेत्र एकत्र करे । उसके चूर्ण का ललाट पर तिलक
करने से संसार वशीभूत हो जाता है । जिस व्यक्ति के भोजन तथा पानी के साथ इसका
चूर्ण मिलाया जायेगा, अथवा गंध एवं पुष्प के साथ मिलाकर सुंघाया जायेगा, अथवा
जिसके मस्तक पर छिड़क दिया जायेगा; वह साध्य व्यक्ति तत्काल वशीभूत हो जाते है।
ॐ ह्रिं ह्रिं ह्रं:क्ष: ह्रैं: फट नमः ।
कुकुम, उलूक का मांस, अगुरु, रक्त चंदन तथा गोरोचन को समान मात्रा घिस कर
तिलक बनाए । इसे किसीभी खाद्य अथवा पीने चीज में मिलाके खिला देने से अथवा
जगत् भर में जिसे भी दिया जाये, वह वशीभूत हो. सकता है। इसे उपरक्त
मंत्र का १०००बार जप करे । इसके द्वारा स्त्री अथवा पुरुष सभी को
वशीभूत कर सकते हैं ॥
एक दिन पहले से उपवास करके इन्द्रवारुणी ( पुर्वदिक्
स्थित )
जड़ सहित उखाड़े । इसके बाद उत्तर की ओर मुख करके उसे ऊखल में कूटना चाहिए । अब
इस चूणे का कल्क ( चटनी ) तथा मरिच, पिप्पल एवं सोंठ को समान मात्रा में लेकर
बकरी के मूत्र में मिलाये अब इसे अच्छी तरह मिलाकर छाया में सुखाना चाहिए । अब
उसे रक्त चन्दन में मिलाकर अपनी उंगली में लेपन करे । इस उंगली से जिस व्यक्ति
को भी स्पर्श किया. जायेगा, वहीं बशीभूत हो जायेगा । इस प्रयोग से जगत् का
प्रत्येक व्यक्ति को स्पर्स वशीभूत कर सकते हे।
ॐ नम: शची इन्द्राणी सर्व बश्यांकरी सवर्थिसाधिनी स्वाहा ।
इस वटिका में देवदारु एवं स्वेतचन्दन समान भाग में जल के साथ मर्देन करे । इसे जिसे भी लेपन हेतु
दिया जायेगा, वह वशीभुत हो जायेगा । इसी वटिका में गोरोचन समान मात्रा में
मिलाकर जल के साथ मले । इसके तिलक से सर्वत्र विजय मिलती है ॥
इन योगों के. लिए १००० बार इस मन्त्र को जपे--ॐनमः शची इन्द्राणी सर्व वश्यंकरि
सर्वाथेसाधिनी स्वाहा ।
कृष्णपक्ष युत चतुर्देशी अंथवा अष्टमी को उपवासपु्वक रहे और देवताओं को बलि
देकर सहदेई लाकर उसको कूट कर महीन चूर्ण बनाये । इस चूर्ण को ताम्बूल में
छोड़कर जिसे भी दिया जायेगा, वह वकीशूत हो जायेगा ॥
गोरोचन तथा सहदेवी को पीसकर मिलाये । इसका तिलक सभी को वशीभूत कर लेता है।
मनःशिला ( मैनसिल ) तथा सहदेई की जड़ को पीसे और इन्हें आँख में अंजन के समान
लगाये । इससे सभी वशीभूत हो जाते हैं । एक सप्ताह तक पान के साथ सहदेई मिलाकर
खिलाने से राजा भी वशीभूत हो जाता है।
सह देवी पौधा से करे महा वशीकरण
ॐ नमो भगवति मातंगेश्वरि सर्वमुखरण्जिनि सर्वेषां महामाये मातंडकुमारिके
लेपे लघु-लघु वच्चं कुरु कुरु स्वाहा ।
सहदेई का चू्ण मस्तक पर धारण करने से सभी वशीभरुत हो जाति हैं । सहदेई की जड़
को मुख में रखकर अथवा कमर में बाँध कर जिस स्त्री की कामना की जायेगी, वह रमणी
मन्त्रप्रयोग से वद्यीभूत हो जायेगी ॥उपरोक्त मंत्र को १००० बार जपने से सिद्ध
हो जाते है ।
शमशानचिता के बुझे हुए कोयले तथा श्रीगल के रुघिर को मिलाकर जिसके मस्तक पर
छिड़क दिया जाये, वह व्यक्ति निःसन्देह वशीभरूत हो जाता है।
मोर का पित्त, गोरम्भा, चमेली की फूल, रोचना और मोर की चोटी को एक साथ मलना
चाहिए । इसे जिसके अंग से स्पर्श कराया जायेगा अथवा पिला दिया जायेगा, वह
वशीभूत हो जायेगा ।
चन्द्रग्रहण काल में सफेद अपराजिता की जड़ को लाकर उसका अंजन बनाये । जो भी
व्यक्ति इसे आँखों में लगायेगा अथवा उसका तिलक करेगा, वह सबको वशीभूत करा
सकता है।
मेघनाद ( चौलाई ) की जड़ को मुख में रखने से सभी वश में हो जाते हैं। उसका
प्रतिवादी उसे देखते ही मूक हो जाता है, अथवा अन्यत्र चला जाता है.
.
कृष्णपक्ष की चतुदर्शी को सफेद घुमची की जड़ को ताम्बूल के साथ देने से सभी
वश में हो जाते हैं ॥
मैनसिल , रोचना ( गोरोचन,) तथा स्वेत घुमची की जड़ को पानी में पीसकर
तिलक करने से जिस व्यक्ति से बातचीत की जायेगी, वह वशीशूत हो जायेगा ॥
ॐ वज्जकिरणे शिवे रक्ष रक्ष भगवति ममादि अमृतं कुरु कुरु स्वाहा ।
उक्तयोगानां सहस्रजपे सिद्धि: ।
स्वेत गुंचा की जड़ को चबाकर उसके द्वारा तिलक करे । उसे देखने मात्र से
नर-नारी वशीभूत हो जाते हैं ।
इन सबके प्रयोगा्थे इस मन्त्र का एक सहस्र जप करे--ॐ वज्जकिरणे शिवे रक्ष रक्ष
भगवती ममादि अमृतं कुरु कुरु स्वाहा ।
ॐ स्वेतबर्न सितपवेंतवासिनि अप्रतिहते मम कार्य कुरु कुरु ठ: ठ: स्वाहा
।
एक दिन. पहले . साधक उपवास करे । अगले दिन पुष्य नक्षत्र युत कृष्णाष्टमी को
पुष्प-धूप-बलिपूजा करके घी का दीपक दान करे । यह सब प्रदान करके इस मंत्र का
१००८ जप करे ।
ॐ स्वेतवर्णे सितपर्वतवासिनि अप्रतिहते मम कार्य कुरु कुरु ठ: ठ: स्वाहा
॥
स्वेतगुंचा का फल लेकर वहाँ की मृत्तिका और घी से उसका लेपन करे । अब इसे एक
सुन्दर नवीन पात्र में रखकर कृष्णपक्ष की चतुर्दशी अथवा अष्टमी को प्रृथ्वी में
गाड़ देना चाहिए । जब तक इस बीज से पौधा नहीं निकलता तब तक यह मन्त्र
पढ़कर--''ॐ स्वेतबर्न सितपर्वतवासिनि अप्रतिहते मम कार्य कुरु कुरु ठ:ठ:
स्वाहा” उसका सिंचन नित्य करता रहे; जब तक फल नहीं लग जाता ॥
पौधे में फल परिलक्षित होने पर साधक एक दिन उपवास करके तथा जितेन्द्रिय स्थिति
में कृष्णपक्ष की उस अष्टमी को जब पुष्य नक्षत्र हो, पवित्रता से उसका न्यास
आदि करके पौधे को उठा लेना चाहिए । इसके पहले मंत्र जपका १० अंश हवन करना चाहिए
।इस मूल को स्वेत चंदन से घिसकर अंगो में लेप करने से सर्व लोग बसीभुत हो जाते
हैं।
ॐ कामिनी माधवी माधवी नम:
मन्त्र द्वारा धूप को १००८ बार अभि- मन्त्रित करे । जिसे यहूं धूंप लगेगी
वही वशीभूत होगा । इस मंत्र को १०० बार पढ़कर किसी पुष्प को अभिमंत्रित करके
जिसे भी दिया जाता है, वह वशीभूंत हो जाता है । इसे मन्त्र से जिस किसी का नाम
लेकर सात ग्रास अन्न को प्रतिदिन सात दिन तक खाने से वह व्यक्ति वशीभुत हो जाता
है।
ॐ घण्टाकर्णाय नम:' का पहले १०००० जप करके
किसी पत्थर के खंण्ड
को जिस ग्राम अथवा नगर में फेंक दिया जाये अथवा उस पत्थर से किसी वृक्ष पर आघात
किया जायें, तब वहाँ अयाचित सुखभोग प्राप्त होगा ।
वशीकरण करने का प्रयोग 37.
हस्ता नक्षत्र में चक्रमद ( चकवड़ ) की जड़ को उखाड़ कर
ॐ सुदर्शनाय हु फट स्वाहा मंत्र से उसे
अभिमंत्रित करे इसे जो बेक्ति बाहु में धारण करता है उसे राज सम्मान प्राप्त
होता हे।मंत्र को पहले १००० बार जप करके सिद्ध कर लेना हे।
चामुंडा मंत्र से करे महा वशीकरण
पहले दस हजार बार ॐ ह्रिं रक्तचामुण्डे रक्त॑ कुरु कुरु अमुक मे बश्य मानय स्वाहा' को जपे । “अमुकं' की जगह जिसे वशीभूत करना हो दा नाम युक्त करे । औषध-संग्रह, प्रस्तुति तथा प्रयोग के लिए ई इस मन्त्र ७-७ बार प्रयोग करे । इसके प्रभाव से समस्त कार्य सिद्ध होते हैं ॥
मजीठ, कुंकुम, अजमोदा ( यमानी ) घृत कुमारी, चिताभस्म तथा अपने देह के रक्त को एकत्र करके उसमें अपने वीर्य की भावना देकर पुष्य नक्षत्र में वटी बनाये । भोजन अथबा जल के साथ इसे किसी को भी खिलाने पर वह वशीभूत हो जाता है। ( इससे पूर्व चण्डमन्त्र का १०००० जप आवश्यक है और औषध-संग्रेह, प्रस्तुति तथा प्रयोग के समय भी ७-७ बार इस चण्डमन्त्र का प्रयोग करे । ) यदि यह वटी राजा के देह से स्पर्श कराई जाये, तो वह भी चण्डमन्त्र के प्रभाव से वशीभूत हो जाता है |
चन्द्रग्रहण के समय ( चण्ड मंत्र ७ बार पढ़ कर ) सफेद अपराजिता की जड़ लाये । उसे ७ बार चण्डमन्त्र पढ़कर स्वामी को भोजन-पानी में पीस- कर देने से वह वशीभूत हो जाता है । प्रयोग से पहले दस हजार चण्डमन्त्र जपे
उत्त राषाढ़ा-उत्तराभाद्रपद अथवा उत्तराफात्गुनी नक्षत्र के समय सुबह पीपल की जड़ ७ बार चण्डमन्त्र पढ़कर लाये । इसे ७ बार चण्डमन्त्र पढ़कर बाहु में बाँधने से साधक राजद्वार में अथवा अन्यत्र भी विजयी हो जाता है । पहले १०००० चण्डमन्त्र सिद्ध करे ॥
भरणी नक्षत्र में आँवले की जड़, विशाखा में आम्र की जड़, पुर्वाफाल्गुनी में अनार की जड़ ७-७ बार चण्डमन्त्र पढ़कर लाये । इन्हें ७-७ बार चण्डमन्त्र पढ़कर बाहु में बाँधने से यदि राजा इन्द्र के भी समान हो, तब भी वशीभुत हो जाता है । पहले १०००० चण्डमन्त्र सिद्ध करे ॥
अश्लेसा नक्षत्र में ७ बार चण्ड मंत्र जप कर नागकेशर की जड़ लाये । इसे ७ बार जप कर बाहु में बाँधने से पृथ्वीपत्टि दि कक पृथ्वीपति राजा भी वशीभूत हो जाते है । प्रयोग के पूर्व १०००० बार जप करके सिद्ध करना पड़ता है।
अंकोल फल के तेल के साथ रक्तमण्डल की जड़ लाकर इस जड़ को लाते _ समय ७ बार चण्डमन्त्र पढ़े । मिलाते समय भी ७ बार चण्डमन्त्र पढ़ें । इसे ७ बार चण्डमन्त्र से अभिमन्त्रि करके तिलक करने से राजा वशीभूत हो जाता है । प्रयोग से पूर्व दस हजार चण्डमन्त्र जपे ॥
कडुए तैल के साथ रक्तचन्दन तथा स्व सरसों मिलाकर उससे एक हजार चण्डमन्त्र से हवन करने से राजा वश में हो जाता है ।
रात्रि के समय अपने गृह में सरसों और बकरे के रक्त से चण्डमन्त
कुंकुम, रक्तचन्दन, गोरोचन तथा कश्टूर को समान मात्रा में लेकर उसका गोदुग्ध से तिलक करने से राजा जी में हो जाता है । इससे पहले “ॐ क्लिंग सः अमुक॑ में वशं कुरु कुरु स्वाहा । का मन्त्र को एक हजार बार जप करके इसी से सात बार अभिमन्त्रित कर उपरान्त तिलक लगाना चाहिए । “अमुक' के स्थान पर जिसे वश में करना है, उसका नाम लेना चाहिए ऐसे करने नाम लिया बेक्ति का वसीकरण हो जाते ही ।
मंत्र: ॐ हां गं जूं स:(नाम) मे बश्य वश्य स्वाहा:
ईस मंत्र से बाशीकरण करने के लिए जिसको वश में करना हे उसका एक फोटो सामने रख कर चमेली के तेल के दीपक जलाके २५०००बार जप करने से वो वशीभूत हो जायेगा ।कही नारी चाहे पुरुष के लिए कर सकते हे और पुरुष चाहे नारी के लिए कर सकते हे।
ॐ नं नां निं नुं नुं नें नें नों नोय नं नं आकर्षनाय ह्रिं स्वाहा :
जिसको वश में करना हे उसका एक फोटो राख कर फोटो के सामने१००००बार जप करने बो वश में हो जायेगा।
ॐ नम:आदि पुरुसाय (अमुक)आकर्षण कुरु कुरु स्वाहा:
उपरक्त मंत्र को अमुक स्थान में जिसको वश करना हे उसका नाम लेके मनमें उसका चिंतन करके एक लाख जप करने से वो आपका वशीभूत हो जायेगा।
ॐ नम:देव भगवते त्रिलोचनं त्रिपुरं देवी (अमुक)में बश्य कुरु कुरु स्वाहा: उपोरक्त मंत्र को पहले एक लाख जप करने के बाद ११०० बार होम करने से आपका मंत्र सिद्ध हो जायेगा फिर किसीको बश करना हे तो किसीभी खाने के चीज में साथ बार अभिमंत्रित करके खिला देने से बो हमेशा वशीभूत होके रह जायेगा ।
मंत्र: ॐ नम:चामुंडे जय जय (अमुक) बश्य मनाय जय जय सर्व सत्ता नम:स्वाहा:
किसिके फोटो के सामने ईस मंत्र को एक लाख जप करने से बो वशीभूत हो जायेगा।
ॐ भगवते रुद्राय ॐ चामुंडे (अमुकं)वशमनाय स्वाहा:
बच, कूड और काकजंगर साथ में पुरुष होगा किसी नारी को वश करने के लिए अपना वीर्य और अनामिका अंगुल की खून तोडा और स्त्री किसी पुरुष को वश में करने के लिए खुदका पीरियड की खून तोडा सा इस मंत्र से साथ बार अभिमंत्रित करके किसीभी खाने के साथ मिलाके खिला देने से जिंदेगी भर गुलाम बन कर रह जायेगा।
ॐ नम: कट बिकट घोर रूपीने स्वाहा:
ईस मंत्र पाठ करते हुये जिसका नाम लेके चावल (भात) ७ मूठा खाने से वो वशीभूत हो जायेगा।
पुष्या नक्षत्र में अपामार्ग की बीज लेकर उसको पीसकर, किसीभी दिन पान के साथ या और किसी खाने के साथ मिलाके खिला देने से नारी या पुरुष कहिभी हो बो आपका बशमे रह जायेगा ।
चिता भस्म और ब्रह्म डंडी को मिलाकर इस मंत्र से १०८ बार अभिमंत्रित करके किशिका शरीर पर फेकने से वो वश में हो जायेगा।
मंत्र: ॐ नम:कामाख्या देवी (अमूकं)वश मानाय स्वाहा:
मंत्र: ॐ ह्रिं चामुंडे (अमुकं)जल जल प्रज्जल प्रज्जल स्वाहा:
इस मंत्र को काले सही से या काले पैन से सफेद कागज में लिख कर अमुक स्थान में नारी या पुरुष का नाम लिखना हे फिर सरसो तेल की दिया में कागज को धागा जैसे जालाना हे २१ दिनो तक हर दिन शामको जालाना हे ७ दिन के अंदर ही वो तडपे गा आपसे बाते करने के लिये ।
Thank you visit Mantralipi