उच्चाटन किसको बोलते हे (Ucchatan Kisko Bolte He)
जिस प्रयोग करने से किसीको अपना कर्म स्थान से या घर से भगा देना हे उसका मन काहिपे भी नही लगेगा इसको उच्चाटन बोलते है तंत्र के भाषामें|
उच्चटन किसके ऊपर प्रयोग करे
उच्चाटन का प्रयोग किसी को बिना कारण में करना नेही चाहिए ।अगर वो कही बड़ा शत्रु भी हो ना क्यूं इसका प्रयोग देख कर ही करना हे नही तो इसका दंड भी आपको भोगना पड़ेगा कभी ना कभी किसी रूप में आपका या आपका परिवार के ऊपर किसी रूप में आयेगा ।शत्रु आगर आपको बहुत क्षती कर रहे हे आपको ठीकसे जीने नही दे रहा हे तब ये प्रयोग करना हे।उच्चाटन का अर्थ होता है, भगा देना, अथवा वहाँ से उखाड़ देना । परिस्थितिवश उच्चाटन करना भी आवश्यक हो जाता है।
उच्चाटन प्रयोग नियम
समय--वर्षाकाल में अर्थात् श्रावण-भाद्रपद मास में उच्चाटन' कमें किया जाता है। तीसरे पहर--संध्या में यह वर्षाकाल नित्य माना जाता है।
मण्डल--छ कोण का वायुमण्डल काले रंग के पदार्थों से बनाकर “यं” बीज से पूजा करे। पूज्य देवी के रूप में दुर्गा देवी का पूजन करना चाहिए।
आसान --मृग चमं का हो और मुख वायव्य दिशा में हो ।
मन्त्र के अन्त में फट का प्रयोग करे।
शास्त्र कहता है--जिसने घर, खेत, स्त्री, पुत्रादि का हरण किया है, उसका उच्चाटन करना चाहिए। अनावश्यक रूप से निरपराध व्यक्ति को सताने वाले का उच्चाटन और मारण करने का निर्देश यद्यपि हमारी व्यावहारिक एवं सामयिक आवश्यकता का समाधान है फिर भी ये प्रयोग उग्र हैं और इनके करने से व्यक्ति कर्म और प्रतिकर्म के चक्रमें फेस जाता है इसलिए अतिशय विषमता की स्थिति में ही इनको किया जाए।
उच्चटन करने का बिधि
एक मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उस पर ब्रह्मदण्डी तथा चिता की भस्म का लेप कर दे। इसे सरसों के साथ जिस किसी भी व्यक्ति के घर में रख दिया जाएगा उसका उच्चाटन हो जाएगा ।
शिवलिंग पर “ओम् नमो भगवते रुद्राय करालाय अमुक पुत्र बांधवे सह शी घ्रमुच्चाटय उच्चाटय स्वाहा ठ:ठ:ठ: ।।
--खाली स्थान में उस व्यक्ति का नाम लिया जाए जिस पर यह प्रयोग करना है । इस मन्त्र का एक हजार जप कर लेना चाहिए ।
उच्चाटन के जो प्रयोग किए गए हैं उनमें इसी मन्त्र का प्रयोग होगा इसलिए सर्वप्रथम किसी शिव मन्दिर में जाकर उपरिलिखित मस्त्र के दस हजार जप कर लेने चाहिएँ। इससे मन्त्र जाग्रत एवं शक्ति सम्पन्न होता है ।
मंगलवार के दिन मध्याह्न में गघालोटन की मिट्टी लाकर उस पर ऊपर लिखा मन्त्र एक सो आठ बार पढ़कर जिसके घर में डाल दे उसका उच्चाटन हो ।
सरसों और शिव निर्माल्य जिसके घर में गाड दिया जाए उसका उच्चाटन हो जाता है। उपर्युक्त मन्त्र का ही जप करना होगा ।
रविवार के दिन कौवे के पंख अभिमन्त्रित करके जिसके घर में डाला जाए उसका उच्चाटन हो जाता है।
मंगलवार के दिन ऊपर लिखे मन्त्र से अभिमन्त्रित करके उल्लू के पंख जिसके घर में डाले जाते हैं उसका उच्चाटन हो जाता है ।
उल्लू की विष्ठा और सरसों को अभिमन्त्रित करके जिसके शरीर पर डाला जाए उसका उच्चाटन हो जाता है । यहाँ उच्चाटन का अथ होता है, वह व्यक्ति किसी भी स्थान पर स्थिर नहीं हो पाता है।
चार अंगुल की गुलर की कील अभिमन्त्रित करके जिसके द्वार पर गाड दी जाए उसका उच्चाटन हो जाता है।
कौवे और उल्लूं के पंखों को ऊपर लिखे मन्त्र से अभिमन्त्रित करके रविवार के दिन जिसके चूल्हे में गाड़ दिया जाए उसका उच्चाटन हो जाता है। आज के गैस युग में यह और भी सरल हों गया है क्योंकि इन अभिमन्त्रित पंखों को गैस के स्टोव के नीचे चिपका देने से भी अपेक्षित परिणाम निकल आने चाहिएँ।।
कुछ उपाय में मंत्र और बिधि का कुछ हिर्सा गुप्त रखा गये जनकल्याण हेतु। आप लोगोको बी बिधि और मंत्र का पूरा उपाय चाहिये तो मुझसे सम्पर्क कीजिये हम फ्री में इसका उपाय और मंत्र पूरा दे देंगे।
प्रयोग 1.
एक मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उसपर ब्रह्मदंडी तथा चिता की भस्म का लेप कर दे इस मंत्र पड़ कर फिर उस शिवलिंग को शत्रु के जाने आने के रास्ते में या उसके घरोमे लेके गार देने से उसका उच्चाटन हो जायेगा ।
मंत्र : ॐ नमो भगवते रुद्राय करालाय अमुक पुत्र बांधब सह शीघ्र उच्चाटय उच्चाटय स्वाहा ठ: ठ: ठ:।। ईस मंत्र को पहले किसीभी शिव मंदिर जाकर एक हजारआठ बार जप करके सिद्ध कर लेना हे फिर इसका उपयोग करना हे।
शिवलिंग पर “ओम् नमो भगवते रुद्राय करालाय अमुक पुत्र बांधवे सह शी घ्रमुच्चाटय उच्चाटय स्वाहा ठ:ठ:ठ: ।।
--खाली स्थान में उस व्यक्ति का नाम लिया जाए जिस पर यह प्रयोग करना है । इस मन्त्र का एक हजार जप कर लेना चाहिए ।
उच्चाटन के जो प्रयोग किए गए हैं उनमें इसी मन्त्र का प्रयोग होगा इसलिए सर्वप्रथम किसी शिव मन्दिर में जाकर उपरिलिखित मस्त्र के दस हजार जप कर लेने चाहिएँ। इससे मन्त्र जाग्रत एवं शक्ति सम्पन्न होता है ।
मंगलवार के दिन मध्याह्न में गघालोटन की मिट्टी लाकर उस पर ऊपर लिखा मन्त्र एक सो आठ बार पढ़कर जिसके घर में डाल दे उसका उच्चाटन हो ।
सरसों और शिव निर्माल्य जिसके घर में गाड दिया जाए उसका उच्चाटन हो जाता है। उपर्युक्त मन्त्र का ही जप करना होगा ।
रविवार के दिन कौवे के पंख अभिमन्त्रित करके जिसके घर में डाला जाए उसका उच्चाटन हो जाता है।
मंगलवार के दिन ऊपर लिखे मन्त्र से अभिमन्त्रित करके उल्लू के पंख जिसके घर में डाले जाते हैं उसका उच्चाटन हो जाता है ।
उल्लू की विष्ठा और सरसों को अभिमन्त्रित करके जिसके शरीर पर डाला जाए उसका उच्चाटन हो जाता है । यहाँ उच्चाटन का अथ होता है, वह व्यक्ति किसी भी स्थान पर स्थिर नहीं हो पाता है।
चार अंगुल की गुलर की कील अभिमन्त्रित करके जिसके द्वार पर गाड दी जाए उसका उच्चाटन हो जाता है।
कौवे और उल्लूं के पंखों को ऊपर लिखे मन्त्र से अभिमन्त्रित करके रविवार के दिन जिसके चूल्हे में गाड़ दिया जाए उसका उच्चाटन हो जाता है। आज के गैस युग में यह और भी सरल हों गया है क्योंकि इन अभिमन्त्रित पंखों को गैस के स्टोव के नीचे चिपका देने से भी अपेक्षित परिणाम निकल आने चाहिएँ।।
कुछ उपाय में मंत्र और बिधि का कुछ हिर्सा गुप्त रखा गये जनकल्याण हेतु। आप लोगोको बी बिधि और मंत्र का पूरा उपाय चाहिये तो मुझसे सम्पर्क कीजिये हम फ्री में इसका उपाय और मंत्र पूरा दे देंगे।
प्रयोग 1.
एक मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उसपर ब्रह्मदंडी तथा चिता की भस्म का लेप कर दे इस मंत्र पड़ कर फिर उस शिवलिंग को शत्रु के जाने आने के रास्ते में या उसके घरोमे लेके गार देने से उसका उच्चाटन हो जायेगा ।
मंत्र : ॐ नमो भगवते रुद्राय करालाय अमुक पुत्र बांधब सह शीघ्र उच्चाटय उच्चाटय स्वाहा ठ: ठ: ठ:।। ईस मंत्र को पहले किसीभी शिव मंदिर जाकर एक हजारआठ बार जप करके सिद्ध कर लेना हे फिर इसका उपयोग करना हे।
उच्चटन करने का प्रयोग 2.
दूसरा प्रयोग मंगल बार के दिन गधा जहपे सोता हे उस जगा की मिट्टी लेकर ऊपर में दिया गेया मंत्र १०८ बार पड़कर जिसका घर में फेका जाय उसका उच्चाटन हो जाते हे।
उच्चटन करने का प्रयोग 3.
शनिवार के दिन कौबे के पंख लेके जिसको उच्चाटन करना हे उसके नमो मंत्र को १०८ बार अभिमंत्रित करके उसिका घरमे फेक देने से उसिका उच्चाटन हो जाते है।
उच्चटन करने का प्रयोग 4.
मंगल बार या शनिवार को उल्लू के पंख लेके जिसको उच्चाटन करना हे उसिका नामपे १०८ बार अभी मंत्रित करके उसका घर या जाहपे जतायत करते हे बही स्थान में रख देने से उसका उच्चाटन हो जाते हे।
उच्चटन करने का प्रयोग 5
चार अंगुल परिमाण गुलर पोधा के काठ से एक किल बनाके जिसको उच्चाटन करना हे उसका नामपे ऊपर का मंत्र को १०८ बार अभिमंत्रित करके उसके घरके गेट के सामने गाड़ देने से उसिका उच्चाटन हो जाते हे।
उच्चटन करने का प्रयोग 6.
ॐ हूं हूं अमुकं क्रिं ठं ठं ठं । मनुष्य का अस्ति का किल बनाके जिसको उच्चाटन करना हे उसका नामपे इस मंत्र को १०८ बार अभी मंतित करके किसीभी स्थान में गार देने से उसका उच्चाटन हो जाते हे।
उच्चटन करने का प्रयोग 7.
घोड़े की हड्डी की किल बनाके जिसको उच्चाटन करना हे उसिका नामपे मंत्र से १०८ बार अभी मंत्रित करके किसीभी स्थान में गार देने से उसका उच्चाटन हो जाते हे।
ॐ नमो भगवते रुद्राय दंस्ट्र करालाय अमुकं दह दह पच पच उच्चाटय उच्चाटय हूं फट स्वाहा ठ:ठ:ठ: ।।
प्रयोग 8.
बिल्ली का हड्डी ,शुयोर की मांस,कच्छप की मुंडी ,चिटा भस्म ,ब्रह्म डंडी एकसाथ मिलाके इंसानो की खोपड़ी में भर कर शत्रु के घर में दबा देने सदुस्ता शत्रु का उच्चाटन हो जाते हे।
ॐ नमो भगवते रुद्राय दंस्ट्र करालाय अमुकं दह दह पच पच उच्चाटय उच्चाटय हूं फट स्वाहा ठ:ठ:ठ: ।।
प्रयोग 8.
बिल्ली का हड्डी ,शुयोर की मांस,कच्छप की मुंडी ,चिटा भस्म ,ब्रह्म डंडी एकसाथ मिलाके इंसानो की खोपड़ी में भर कर शत्रु के घर में दबा देने सदुस्ता शत्रु का उच्चाटन हो जाते हे।
उच्चटन करने का प्रयोग 9.
शनिबार नेहतो मंगल बारको स्बेट गुंचा की मूल उठाके शत्रु के घर में ग़र देने से शत्रु का उच्चाटन हो जाते हे।
उच्चटन करने का प्रयोग 10.
स्बाति नक्षत्र में गूलर की कील चार अंगुल परिमाण एक किलक बनाके निन्म मंत्र १०८ बार अभिमंत्रित करके शत्रु के घर में घर देने से शत्रु का उच्चाटन हो जाते हे।
उच्चटन करने का प्रयोग 11.
ॐ नमो भगवते रुद्राय ज्वालार्नि......... स्वाहा । कौए का मस्तक लाकर उपरोक्त मन्त्र का पाठ करते हुए उसे तिल के तेल में पकाये । इस तेल के पकाने मात्र से शत्रु का उच्चाटन हो जाता है ॥
प्रयोग 12.
ॐ खं गु: खः खाखाविनी...... स्वाहा' ।
अश्विनी नक्षत्र में पीपल की लकड़ी की कील बनाकर उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित करके जिसके घर में गाड़ दिया जायेगा, उसका उच्चाटन शीघ्र ही हो जाता है ।
प्रयोग 13.
ॐ नमो भगवते द्रुत दूत..... स्वाहा' । सर्ज नामक॑ ब्रूक्ष की लकड़ी से बनायी गयी कील को कृत्तिका नक्षत्र में
लाये और उक्त मन्त्र से सात बार अभिमन्त्रित करके जिसके घर में गाड़ दिया जाये, उसका शीघ्र उच्चाटन हो जाता है ।
प्रयोग 12.
ॐ खं गु: खः खाखाविनी...... स्वाहा' ।
अश्विनी नक्षत्र में पीपल की लकड़ी की कील बनाकर उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित करके जिसके घर में गाड़ दिया जायेगा, उसका उच्चाटन शीघ्र ही हो जाता है ।
प्रयोग 13.
ॐ नमो भगवते द्रुत दूत..... स्वाहा' । सर्ज नामक॑ ब्रूक्ष की लकड़ी से बनायी गयी कील को कृत्तिका नक्षत्र में
लाये और उक्त मन्त्र से सात बार अभिमन्त्रित करके जिसके घर में गाड़ दिया जाये, उसका शीघ्र उच्चाटन हो जाता है ।
उच्चटन करने का प्रयोग 14.
ॐ नमो भगवति कायरूपिणि ....स्वाहा ।
आर्द्रा नक्षत्र में नीम की लकड़ी की कील को उक्त मंत्र ७ बार अभिमंत्रित करके शत्रु के घर में गाड़ देना चाहिए । इससे शत्रु उच्चाटन हो जाता है ॥
आर्द्रा नक्षत्र में नीम की लकड़ी की कील को उक्त मंत्र ७ बार अभिमंत्रित करके शत्रु के घर में गाड़ देना चाहिए । इससे शत्रु उच्चाटन हो जाता है ॥
उच्चटन करने का प्रयोग 15.
ॐ भगवते उड्डामरेश्व राय वायुरूपाय चुनु चुनु ठ: ठ:... । मंगलवार को किसी शिवमन्दिर से ४ ईंट लायें । उसे उक्त मंत्र से अभिमन्त्रित करके शत्रु के घर के चारों कोनों पर एक-एक ईट गार दे तथा उस घरकेे के गेट के बाहर चन्दन सहित शिव की पूजा में प्रयुक्त पुष्प के दे । उक्त मंत्र का गाड़ते समय प्रयोग करें ।७ रात में उस शत्रु का उच्चाटन हो जाते हे ।
उच्चटन करने का प्रयोग 16.
ॐ भगवते उड्ढामरेश्व राय वायुरूपाय चुनु चुनु ठे: ठ: ...का था मंगलवार को किसी शिवमन्दिर से डा ईट लायें । उसे कर अभिमन्त्रित करके शत्रु के घर के चारों कोनों पर एक-एक ईट गार दिया जाय तो उस शत्रु का उच्चाटन हो जाते हे।
प्रयोग 17.
आँवला के चूर्ण को अंकोल के तैल में भावना देनी चाहिए । इसका शत्रु के सिर पर लेपन करने से उसका उच्चाटन होता हैं । पुनः गोदुग्ध से स्नान करने पर यह दुष्फल समाप्त हो जाता है।
प्रयोग 18.
ब्रह्मदण्डी, चिता की भस्म, बिड़ाल की अस्थि के साथ शुकर का मांस तथा कछुए का मस्तक चूर करके मनुष्य की खोपड़ी में रखे । तदनन्तर कि मस्तक को शात्रु के गृह में गाड़ दे । उसका उच्चाटन बंधुबांधब एवं बंधुओं साथ अत्यन्त शीघ्र होने लगता है।
प्रयोग 17.
आँवला के चूर्ण को अंकोल के तैल में भावना देनी चाहिए । इसका शत्रु के सिर पर लेपन करने से उसका उच्चाटन होता हैं । पुनः गोदुग्ध से स्नान करने पर यह दुष्फल समाप्त हो जाता है।
प्रयोग 18.
ब्रह्मदण्डी, चिता की भस्म, बिड़ाल की अस्थि के साथ शुकर का मांस तथा कछुए का मस्तक चूर करके मनुष्य की खोपड़ी में रखे । तदनन्तर कि मस्तक को शात्रु के गृह में गाड़ दे । उसका उच्चाटन बंधुबांधब एवं बंधुओं साथ अत्यन्त शीघ्र होने लगता है।
उच्चटन करने का प्रयोग 19.
नरमांस, बारहमांश,गृह पक्षी की हड्डी तथा विष समान परिमाण मात्रा में गई का पैर तथा भैंस का पैर इन सबको शत्रु के गृह में गाड़ देने से महानु उच्चाटन होता है। केवल उल्लू के पंखों को गाड़ देने से भी यहीं फल मिलता है ।
उच्चटन करने का प्रयोग 20.
ब्रह्मदण्डी, चिताभस्म, चित्रक वृक्ष की जड़, रक्त, विष, वाराह के रोयें, कड़वी लौकी तथा नीम के बीज को मिलाकर रखे । निम्न मन्त्र को जपते हुए शत्रु का नाम लेकर इन मिली वस्तु से ७ दिनों तक नित्य हवन करने से शत्रु. का चिरकाल के लिए उच्चाटन हो जाता है ।
ॐ नमो भगवते उड्डमरेश्वराय -उच्छादय उच्छादय उच्चाटय उच्चाटय हन हन ....... ।
ॐ नमो भगवते उड्डमरेश्वराय -उच्छादय उच्छादय उच्चाटय उच्चाटय हन हन ....... ।
उच्चटन करने का प्रयोग 21.
ॐह्रिं यम यम उल्लूककराले विद्युज्जिह्नें ........अमुकमुच्चाटय हुं फट ।
कृष्णपक्ष के जिस शनिवार अथवा मंगलवार को भरणी, आद्रा अथवा कृत्तिका नक्षत्र पड़े; उस दिन चिता की लकड़ी की ४ अंगुल की कील बनाकर उसे बिना जले शव के दिर के शिर के केशों से लपेट देना चाहिए और अग्निकोण की. ओर मुख करके ऊपरलिखित “ॐ ह्रिं' से लेकर “हुं फट पर्यन्त मन्त्र का १०८ बार जप करना चाहिए । जप करने के अनन्तर क्रोधित चित्त, से सूय॑ की ओर देखते हुए शत्रु के घर के द्वार पर गाड़ देने से उसका अतिशीघ्र उच्चाटन हो जाता है।
कृष्णपक्ष के जिस शनिवार अथवा मंगलवार को भरणी, आद्रा अथवा कृत्तिका नक्षत्र पड़े; उस दिन चिता की लकड़ी की ४ अंगुल की कील बनाकर उसे बिना जले शव के दिर के शिर के केशों से लपेट देना चाहिए और अग्निकोण की. ओर मुख करके ऊपरलिखित “ॐ ह्रिं' से लेकर “हुं फट पर्यन्त मन्त्र का १०८ बार जप करना चाहिए । जप करने के अनन्तर क्रोधित चित्त, से सूय॑ की ओर देखते हुए शत्रु के घर के द्वार पर गाड़ देने से उसका अतिशीघ्र उच्चाटन हो जाता है।
उच्चटन करने का प्रयोग 22.
ॐ ट्रीं देट्रां देट्रां तट्रां उच्चाटय ट्रां ठ: ह्रिं रे द्रां द्रां द्रां तद्रां अमुकं उच्चाटय द्रां....... ठ:"
बकरे का रक्त, विष, सफेद सरसों, चिता में जलता कोयला; इन सबको _ मिलाकर स्याही बनाना चाहिए । इस स्याही से कौआ के पंख पर क्रोधित होकर उक्त मन्त्र को लिखे । जहाँ 'अमुकं' शब्द है वहाँ अमुक॑ के स्थान पर शत्रु का नाम लिखे । अब इस पंख को शमशान में गाड़ दे । १० दिन में शत्रु का उच्चाटन हो जायेगा ।
बकरे का रक्त, विष, सफेद सरसों, चिता में जलता कोयला; इन सबको _ मिलाकर स्याही बनाना चाहिए । इस स्याही से कौआ के पंख पर क्रोधित होकर उक्त मन्त्र को लिखे । जहाँ 'अमुकं' शब्द है वहाँ अमुक॑ के स्थान पर शत्रु का नाम लिखे । अब इस पंख को शमशान में गाड़ दे । १० दिन में शत्रु का उच्चाटन हो जायेगा ।
उच्चटन करने का प्रयोग 23.
ॐ ह्रिं यम यम उल्लूककराले विद्युज्जिह्ने अमुकमुच्चाटय ...... फट ' ।
मन-ही-मन यह ध्यान करे कि शत्रु ऊँट पर बैठा हुआ है और ऐसा ध्यान करते हुए ऊपर ऊपर दिया गैय मन्त्र को दक्षिण दिशा की ओर मुँह करके पढ़ते हुए एक दण्ड से पृथ्वी को मारता रहे । ऐसा नित्य २१ दिन तक करते रहने से शत्रु देश त्याग करके चला जाता है । मन्त्र में “अमुक॑' के स्थान पर शत्रु का नाम लेना होगा
प्रयोग 24.
रविवार को कौए का पंख लाये । उसे साँप के केचुल से बाँधकर पुनः कुसुम्भ के सूत्र से बाँधना होगा । इसके बाद नीम के पत्ते पर शत्रु का नाम. लिखकर इस पत्ते को उस पंख पर लपेट देना चाहिए ॥
अब इस पंख के बाहर चिताभस्म का लेपन करके मुर्दे के कफन के टुकड़े द्वारा इसे लपेट देना होगा । अब शत्रु के द्वार पर इसे गाड़ देने से शत्रु का उच्चाटन हो जाता है।
मन-ही-मन यह ध्यान करे कि शत्रु ऊँट पर बैठा हुआ है और ऐसा ध्यान करते हुए ऊपर ऊपर दिया गैय मन्त्र को दक्षिण दिशा की ओर मुँह करके पढ़ते हुए एक दण्ड से पृथ्वी को मारता रहे । ऐसा नित्य २१ दिन तक करते रहने से शत्रु देश त्याग करके चला जाता है । मन्त्र में “अमुक॑' के स्थान पर शत्रु का नाम लेना होगा
प्रयोग 24.
रविवार को कौए का पंख लाये । उसे साँप के केचुल से बाँधकर पुनः कुसुम्भ के सूत्र से बाँधना होगा । इसके बाद नीम के पत्ते पर शत्रु का नाम. लिखकर इस पत्ते को उस पंख पर लपेट देना चाहिए ॥
अब इस पंख के बाहर चिताभस्म का लेपन करके मुर्दे के कफन के टुकड़े द्वारा इसे लपेट देना होगा । अब शत्रु के द्वार पर इसे गाड़ देने से शत्रु का उच्चाटन हो जाता है।
उच्चटन करने का प्रयोग 25.
ॐ नमो. भगवते . उड्डामरेश्वराय उच्छादय उच्छादय विद्वेषय विद्वेषय ...... ठ: ठः” ।.
अध:पुष्पी ( ब्रह्मदण्डी ) नामक औषधि, मुरा, मांसी, चीताभस्म तथा कच्छप का मस्तक एक साथ एक पत्ते पर रखकर शत्रु के गृह में . गाड़ देने, से वह सात दिनों में उच्चाटित हो जाता है। इसका मन्त्र ॐ नमो' से 'ठ: ठ:' तक ऊपर अंकित है ।
अध:पुष्पी ( ब्रह्मदण्डी ) नामक औषधि, मुरा, मांसी, चीताभस्म तथा कच्छप का मस्तक एक साथ एक पत्ते पर रखकर शत्रु के गृह में . गाड़ देने, से वह सात दिनों में उच्चाटित हो जाता है। इसका मन्त्र ॐ नमो' से 'ठ: ठ:' तक ऊपर अंकित है ।
उच्चटन करने का प्रयोग 26.
एक रविवार को. गीध का घोंसला लाये, अगले रविवार को कौये का
घोसला लाये । उसके अगले रविवार को चिता पर से लकड़ी उठा लाये और
सरसों का संग्रह करे । इससे अगले रविवार को इन सबको एकत्रित करके जला दे... ।
इसके पश्चात् इस भंस्म को ग्राम के बाहर स्थापित करे और शत्रु के शर पर फेंक दे । इससे उसका उच्चाटन हो जायेगा, परन्तु गोबरमिश्रित जल से स्नान करते ही वह पुन: ठीक हो जायेगा ।
घोसला लाये । उसके अगले रविवार को चिता पर से लकड़ी उठा लाये और
सरसों का संग्रह करे । इससे अगले रविवार को इन सबको एकत्रित करके जला दे... ।
इसके पश्चात् इस भंस्म को ग्राम के बाहर स्थापित करे और शत्रु के शर पर फेंक दे । इससे उसका उच्चाटन हो जायेगा, परन्तु गोबरमिश्रित जल से स्नान करते ही वह पुन: ठीक हो जायेगा ।
उच्चटन करने का प्रयोग 27.
एक गिरगिट को मारकर उसे स्नान कराकर उसका पूजन करे । तद्नन्तर उसे सफेद वस्त्र से लपेट कर थोड़ी देर तक रुदन करना चाहिए।इसके बाद कौये का एक ऐसा घोसला लाये जो कि चाण्डाल के... घर के निकट के पेड़ पर लगा हो । अब उस गिरगिट को तथा इस घोसले को एक साथ एक चौराहे पर रमशान की जलती लकड़ी से जलाये। एक वस्त्र में इस भस्म को बाँध कर जिस शत्रु के गृह में फेंक देनें से. उसका स्त्री-पुन्न-पशु-बन्धु वर्गे के साथ उच्चाटन हो जाता है ।
उच्चटन करने का प्रयोग 28.
नीम के वृक्ष पर स्थित कौये के घोसले को लाकर उसके साथ ब्रह्मदण्डी नामक जड़ी को जलाकर भस्म करे । अब उस भस्म में म्लेच्छ, चाण्डाल तथा ब्राह्मण की चिताभस्म मिलाये । इसमें भूमि से उत्पन्न मधुमक्खी के छत्ते की मोम को मिलाकर एक कड़ी गुटिका बनाये । इस गुटिका को शत्रु के सिर पर फेंककर नदी में फेंकने से शत्रु का उच्चाटन होता है ॥
उच्चटन करने का प्रयोग 29.
किसी नगर या ग्रामवासियों का उच्चाटन करने के लिए उस नगर-ग्राम के चारों कोनों की मिट्टी तथा उसका आधा सांड का गोबर मिलाकर ५ पुतलिया बनाये । इनमें से ४ पुतलियाँ ग्राम के चारों कोनों पर गाड़ दे । पाँचवीं पुतली को भूगर्व में गाड़े । अब जो पुतली ( पाँचवीं ) गाड़ी गई है, उसके ऊपर धतुरा की लकड़ी जलाये और ऊपर लिखे मन्त्र से १००८ आहुति दे। हवन के पश्चात् इस. कुण्ड से एक चुटकी राख लेकर उसे इसी मन्त्र से ७ बार अभिमन्त्रित करके उस नगर-ग्राम में छिड़क दे । इससे उस गाँव का सामूहिक उच्चाटन हो जाते हे।
उच्चटन करने का प्रयोग 30.
ब्रह्मदण्डी, चिताभस्म, गीध की हड्डी तथा मनुष्य की हड्डी को चूर करके शिवलिंग पर लेप करे । तदनन्तर मृत चाण्डाल तथा ब्राह्मण के बालों की डोर से उस क्षेत्र को चारों ओर से घेर दे । इससे उस समस्त क्षेत्र ( देश ) का उच्चाटन हो जाता है । इसके लिए मन्त्र ऊपर अंकित है।
शत्रु बाधा निवारण
ब्रह्मदण्डी, चिताभस्म, गीध की हड्डी तथा मनुष्य की हड्डी को चूर करके शिवलिंग पर लेप करे । तदनन्तर मृत चाण्डाल तथा ब्राह्मण के बालों की डोर से उस क्षेत्र को चारों ओर से घेर दे । इससे उस समस्त क्षेत्र ( देश ) का उच्चाटन हो जाता है । इसके लिए मन्त्र ऊपर अंकित है।
शत्रु बाधा निवारण
उच्चटन करने का कुछ दिब्य बिधि
आज जो उपाय बताऊंगा ये शत्रु बाधा के लिए हे शत्रु आगर बलवान हे हमेशा आपकी डर बना रहता हे आपका कुछ ना कुछ खराब कर देगा ऐसा स्थिति में कुछ टोटका कर सकते हे जो आपका शत्रु का बल धीरे धीरे खत्म कर देगा।ये जो उपाय हे सब आपको रात को ही करना हे।
पहला उपाय शत्रु का बाय पैर की नीचे का मिट्टी या धूल को आप ले लीजिए शत्रु का कही कपड़ा की टुकड़ा,उसका कही भी सामान चाहे बाल नाखून हो सब को ले लीजिए और एक छोटा सा मिट्टी का घट या हाड़ी ले ढक्कन समेत। इसके बाद सारे सामान को उस हाड़ी या घट में रख लीजिए एक कागज में शत्रु का नाम और पता लिख दीजिये आगार शत्रु का तसबीर होगा बो भी हांडी पड़ रख लीजिए साथमे १०० ग्राम बरा बर काले उड़द उसके अंदर डाल दीजिए , तोडा दारू और आटा भी दे दीजिये फिर उस घट या हांडी को अच्छे करके बंध कर दीजिए फिर उस हांडी को लेकर किसीभी निर्जन स्थान हो या समशन घाट हो कहा पर भी शत्रु का नाम लेके मिट्टिके नीचे दफन कर दीजिये ।सचमुच वो आपका अहित करने बाला हे तो वो बुरी तरा से बीमार पर जायेगा।आप आगर चाहेंगे कुछ दिन बाद उसको मुक्त कर देने के लिए तो फिर उसको उठाके पानी में फेक देने से फिर ठीक हो जायेगा।याद रहे बिना कारण या छोटा मोटा लड़ाई झगड़ा में मत कीजिए नही तो ये विपरीत भी हो सकते हे।
दूसरा उपाय शत्रु अगर कही तांत्रिक या आपके ऊपर तंत्र मंत्र करवा रहे हे तो आप शनि बार या मंगल बार को १किलो मिठाई लेंगे और धूप लेंगे ।शामके समोय आपके घरके आस पास किसीभी शमशान में चला जाईये , जाके एक कोने में या कही पीपल के पेड़ रहेगा तो उसकी नीचे धूप को जाला दीजिए फिर बही पे मीठा भोग को रख दीजिए फिर आपका दुख बताये और ॐ श्री भैराबाय नम: का जप कीजिए १०८ बार और शत्रु आपका केया केया किया हे ,क्या तकलीफ दे रही हे सब बोल कर आपका दुख दूर या शत्रु बाधा दूर करने के लिए प्रणाम करके चला आयेंगे, फिर देखेंगे आपका शत्रु का केया हाल होते हे। ये दोनो उपाय करने के पहले शरीर रक्षा मंत्र पड़कर शरीर बंध करके जायेंगे फिर आने के बाद नहा लेंगे या हात पेर धो लेंगे।
तीसरा उपाय शनिवार या मंगल बारको शामको काले उड़द ,चावल और लेम्बु लेकर किसीभी शुनशान जगा पर चला जाइये फिर तोडा सा मिट्टी खोद कर शत्रु का नाम लेकर पहले उड़द दाल दीजिये इसके बाद चावल दे दीजिए फिर मिट्टी को ढक दीजिए इसके बाद शत्रु का नाम लेकर लेम्बू को मिट्टी के ऊपर निचर दीजिए, शत्रु का नाम लेकर आने के टाइम बा पैर से तीन बार शत्रु का नाम लेकर लाथ मारके चला आयेंगे फिर घर आके हात पैर धो दीजिये। आगर शत्रु बाधा कम नही हो रही हे तो ३ शनिवार या ३ मंगल को कीजिये।
चौथा उपाय ॐ श्री भैरवाय नम: बोल कर एक लेम्बू को १०८ बार उतारा कर लीजिए फिर उसको एक बड़ा सा किल को घुसा दीजिये लेम्बू के अन्दर फिर उस लेम्बू को लेकर शत्रु का नाम लेकर किसीभी पेड़ पर लेम्बु समेत ठोक दीजिये आपका शत्रु खत्म हो जायेगा।
पंचमा उपाय शत्रु एक फोटो लिजिये और २१ ठो लहशुन लिजिये उसीमे काले रंग की पैन या मारकर से शत्रु का नाम लिख लिजिये हर एक में । सबको काले धागा में सूची से गाथ कर माला बना लिजिये ,फिर किसीभी काटा बाला पेड़ देख कर शत्रु के फोटो उत्तर दिशा के और मु करके पेड़ में फोटो समेत एक कील ठोक कर लटका दीजिये फिर उसके ऊपर माला पहना देके चला आईये शत्रु कुछ दिनो में खत्म हो जायेगा।।
पहला उपाय शत्रु का बाय पैर की नीचे का मिट्टी या धूल को आप ले लीजिए शत्रु का कही कपड़ा की टुकड़ा,उसका कही भी सामान चाहे बाल नाखून हो सब को ले लीजिए और एक छोटा सा मिट्टी का घट या हाड़ी ले ढक्कन समेत। इसके बाद सारे सामान को उस हाड़ी या घट में रख लीजिए एक कागज में शत्रु का नाम और पता लिख दीजिये आगार शत्रु का तसबीर होगा बो भी हांडी पड़ रख लीजिए साथमे १०० ग्राम बरा बर काले उड़द उसके अंदर डाल दीजिए , तोडा दारू और आटा भी दे दीजिये फिर उस घट या हांडी को अच्छे करके बंध कर दीजिए फिर उस हांडी को लेकर किसीभी निर्जन स्थान हो या समशन घाट हो कहा पर भी शत्रु का नाम लेके मिट्टिके नीचे दफन कर दीजिये ।सचमुच वो आपका अहित करने बाला हे तो वो बुरी तरा से बीमार पर जायेगा।आप आगर चाहेंगे कुछ दिन बाद उसको मुक्त कर देने के लिए तो फिर उसको उठाके पानी में फेक देने से फिर ठीक हो जायेगा।याद रहे बिना कारण या छोटा मोटा लड़ाई झगड़ा में मत कीजिए नही तो ये विपरीत भी हो सकते हे।
दूसरा उपाय शत्रु अगर कही तांत्रिक या आपके ऊपर तंत्र मंत्र करवा रहे हे तो आप शनि बार या मंगल बार को १किलो मिठाई लेंगे और धूप लेंगे ।शामके समोय आपके घरके आस पास किसीभी शमशान में चला जाईये , जाके एक कोने में या कही पीपल के पेड़ रहेगा तो उसकी नीचे धूप को जाला दीजिए फिर बही पे मीठा भोग को रख दीजिए फिर आपका दुख बताये और ॐ श्री भैराबाय नम: का जप कीजिए १०८ बार और शत्रु आपका केया केया किया हे ,क्या तकलीफ दे रही हे सब बोल कर आपका दुख दूर या शत्रु बाधा दूर करने के लिए प्रणाम करके चला आयेंगे, फिर देखेंगे आपका शत्रु का केया हाल होते हे। ये दोनो उपाय करने के पहले शरीर रक्षा मंत्र पड़कर शरीर बंध करके जायेंगे फिर आने के बाद नहा लेंगे या हात पेर धो लेंगे।
तीसरा उपाय शनिवार या मंगल बारको शामको काले उड़द ,चावल और लेम्बु लेकर किसीभी शुनशान जगा पर चला जाइये फिर तोडा सा मिट्टी खोद कर शत्रु का नाम लेकर पहले उड़द दाल दीजिये इसके बाद चावल दे दीजिए फिर मिट्टी को ढक दीजिए इसके बाद शत्रु का नाम लेकर लेम्बू को मिट्टी के ऊपर निचर दीजिए, शत्रु का नाम लेकर आने के टाइम बा पैर से तीन बार शत्रु का नाम लेकर लाथ मारके चला आयेंगे फिर घर आके हात पैर धो दीजिये। आगर शत्रु बाधा कम नही हो रही हे तो ३ शनिवार या ३ मंगल को कीजिये।
चौथा उपाय ॐ श्री भैरवाय नम: बोल कर एक लेम्बू को १०८ बार उतारा कर लीजिए फिर उसको एक बड़ा सा किल को घुसा दीजिये लेम्बू के अन्दर फिर उस लेम्बू को लेकर शत्रु का नाम लेकर किसीभी पेड़ पर लेम्बु समेत ठोक दीजिये आपका शत्रु खत्म हो जायेगा।
पंचमा उपाय शत्रु एक फोटो लिजिये और २१ ठो लहशुन लिजिये उसीमे काले रंग की पैन या मारकर से शत्रु का नाम लिख लिजिये हर एक में । सबको काले धागा में सूची से गाथ कर माला बना लिजिये ,फिर किसीभी काटा बाला पेड़ देख कर शत्रु के फोटो उत्तर दिशा के और मु करके पेड़ में फोटो समेत एक कील ठोक कर लटका दीजिये फिर उसके ऊपर माला पहना देके चला आईये शत्रु कुछ दिनो में खत्म हो जायेगा।।
उच्चाटन प्रयोग की साबधानी
बिना कारन में अगर छोटा मोटा गलती के लिए आप अगर किसीके ऊपर इसका प्रयोग करेंगे तो भबिस्य में इसका असर उल्टा आपका ऊपर प्रभाब आएगा और बो भी बहुत गुना बरके | इस डरती पर हर क्रिया का प्रतिक्रिया होता हे ये आप सोच ले |
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