Use this secret to get a job || नकरी पाने के लिये करे इस गुप्त प्रयोग

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नौकरी पाने लिये शाबर प्रयोग




    शाबर साधनाएं मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, विद्वेषण जैसे षट्कर्मों से ही रक्षा प्रदान नहीं करती और न ही यह केवल रोग निवारण आदि तक सीमित हैं, अपितु यह साधकों को जीवन में ठीक से व्यवस्थित होने और जीवन में सफलता के शिखर तक पहुंचाने में भी सहायता प्रदान करती हैं। 



    साबर मंत्र साधना का लाभ




    इन शाबर साधनाओं के माध्यम से एक साधक अपने व्यापार को अधिक विस्तृत रूप तक फैला सकता है। बंद और घाटे में चल रहे  व्यवसाय की स्थिति में सुधार ला सकता है । बिक्री को बढ़ा सकता है। यहां तक कि ऐसी साधनाओं के माध्यम से अपने अनुकूल आजीविका (नौकरी) भी प्राप्त कर सकता है।

    शाबर मंत्रों की साधनाएं ऐसी सभी स्थितियों में काफी लाभकारक सिद्ध होती हैं। आमतौर पर ऐसा देखने में आता है कि बहुत से युवक और युवतियों के पास अच्छी योग्यता, प्रतिभा और क्षमता होने के उपरांत उन्हें अपने अनुकूल नौकरी प्राप्त नहीं हो पाती है। ऐसे लोगों को विवशतावश साधारण नौकरियों पर समझौता करना पड़ता है अथवा उन्हें अपनी शैक्षिक योग्यता एवं प्रतिभा को फाइलों तक समेट कर छोटा-मोटा काम-धन्धा करने के लिये मजबूर होना पड़ता है। हमें अक्सर अपने आस-पास, परिवार,

    आस-पड़ौस में ऐसे युवा देखने को मिल जायेंगे, जिन्होंने अपने जीवन के प्रथम 20-25 वर्ष तक तो शिक्षा आदि के क्षेत्र में कई तरह के कीर्तिमान स्थापित किये होते हैं, कई तरह की व्यावसायिक शैक्षिणक योग्यता में उच्च दक्षता प्राप्त की होती है, किन्तु वह व्यावहारिक जीवन में एक तरह से हार जाते हैं । अथक् प्रयासों के उपरान्त जो अपने अनुकूल नौकरी या व्यवसाय नहीं ढूंढ पाते, वे एक तरह से निराशा, हताशा और अभाव का जीवन जीने

    को अभिशप्त हो जाते हैं । हताश युवाओं की संख्या हमारे देश में करोड़ों में है। जीवन में सफलता प्राप्त करना अथवा लाख प्रयासों के उपरांत भी निरन्तर असफल रहना प्रारब्ध के अधीन है। ऐसे बेरोजगार लोगों के लिये शाबर पद्धति में ऐसी अनेक

    उपयोगी प्रक्रियायें एवं अनुष्ठान हैं जिन्हें विधि-विधान के साथ सम्पन्न कर लेने पर अनुकूल आजीविका की व्यवस्था शीघ्र हो जाती है। यह शाबर साधनाएं मनोनुकूल नौकरी प्राप्त करने में काफी सहायक सिद्ध होती हैं। इन साधनाओं का लाभ असंख्य लोगों ने उठाया भी है। आगे इसी प्रकार के एक शाबर अनुष्ठान का उल्लेख किया जा रहा है।




    आर्थिक अभाव दूर करने के अनुष्ठान की विधि :




    आजीविका प्राप्त करने, आर्थिक अभाव की स्थिति को दूर करने के साथ भाग्योदय के लिये यह एक अद्भुत शाबर अनुष्ठान है। यह अनुष्ठान कुल 40 दिन का है। इस

    अनुष्ठान के रूप में गौमाता के रूप में पद्मावती देवी साधना सम्पन्न की जाती है। देवी पद्मावती प्रसन्न होकर शीघ्र ही साधक को मनोनुकूल नौकरी की व्यवस्था करवा देती हैं।



    नकरी पाने के लिए'पद्मा बति साधना



    इस अनुष्ठान को सम्पन्न करने के लिये सात सप्तमुखी रुद्राक्ष, श्वेत चन्दन अथवा  स्फटिक की माला, चमेली के तेल का दीपक, गाय का कच्चा दूध, अक्षत, कम्बल का आसन, नैवेद्य के रूप में गुड़, केसर, गाय का घी, समुद्रफेन, गुगल, मिट्टी का बड़ा बर्तन आदि वस्तुओं की आवश्यकता पड़ती है।




    आवश्यक सामग्री :




    इस अनुष्ठान को शुरू करने के लिये शुक्लपक्ष का मंगलवार अथवा शनिवार का दिन अति शुभ रहता है। अगर इस अनुष्ठान को रात्रि के नौ बजे के बाद से सम्पन्न किया जाये तो उत्तम रहता है अन्यथा इसे प्रातः काल के पांच बजे के आस-पास से भी शुरू किया जा सकता है । इस अनुष्ठान के दौरान साधक को पूर्वाभिमुख होकर बैठना पड़ता है। अगर यह अनुष्ठान किसी प्राचीन देव मंदिर में बैठकर अथवा किसी बड़े वृक्ष के नीचे बैठकर सम्पन्न किया जाये तो और भी अच्छा रहता है अन्यथा इसे अपने घर पर भी सम्पन्न किया जा सकता है। घर पर अनुष्ठान को सम्पन्न करने के लिये किसी एकान्त कमरे का चुनाव साधना के लिये किया जाता है । इस कक्ष को अनुष्ठान शुरू करने से पहले ठीक से स्वच्छ एवं पवित्र कर शुद्ध कर लेना चाहिये । ऐसा प्रयास करना चाहिये कि अनुष्ठान सम्पन्न होने तक इसमें परिवार का अन्य कोई सदस्य प्रवेश न करे ।

    अनुष्ठान शुरू करने के लिये सबसे पहले स्नान एवं नित्यकर्म आदि से निवृत्त हो जायें। अनुष्ठान में बैठने के लिये श्वेत रंग की धोती धारण करना आवश्यक है। शरीर का ऊपरी भाग निर्वस्त्र बना रहे तो अच्छा है अन्यथा धोती के एक सिरे को मोड़ कर कंधों के ऊपर तक लपेटा जा सकता है। इसके बाद साधक को शांत भाव से साधना स्थल पर जाकर कम्बल के आसन के

    ऊपर पूर्व की ओर मुंह करके बैठ जाना चाहिये । अपने मन को शांत एवं प्रसन्नचित्त बनाये रखने का प्रयास करना चाहिये। मन में डर या भय का भाव न उठे, इस बात का भी विशेष ध्यान रखना चाहिये ।

    आसन पर बैठकर अपने सामने की जमीन को गाय के गोबर से लीप कर शुद्ध कर लें। उस पर आटे से एक स्वस्तिक बनाकर उसके मध्य चावलों की एक ढेरी बना लें। इस चावल की ढेरी पर चमेली के तेल का एक दीपक जलाकर रख दें। इस दीपक के सामने एक-एक करके सातमुखी रुद्राक्ष पंचामृत अथवा गंगाजल के छीटें मारकर रख दें।

    यह सप्तमुखी रुद्राक्ष सप्त मातृकाओं के प्रतीक हैं, जो लक्ष्मी, वैभव, ऐश्वर्य और आरोग्यता प्रदान करती हैं। पद्मावती की पूजा-अर्चना में इनका विशेष स्थान रहता है। अतः सातों रुद्राक्षों को अर्पित करते समय क्रमश निम्न मंत्रों का उच्चारण करते रहना चाहिये । सर्वप्रथम ॐ कुलेश्वयै नमः के साथ कुलेश्वरी श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः मंत्र बोलते हुये पहला रुद्राक्ष अर्पित करें। फिर ॐ वागीश्वयै नमः के साथ वागीश्वरी श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः

    मंत्र का उच्चारण करते हुये दूसरा रुद्राक्ष माँ को अर्पित करें। इसके उपरान्त क्रमशः

    ॐ उमायै नमः के साथ उमा श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः

    ॐ श्रियै नमः के साथ श्रीं श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः

    ॐ चण्डायै नमः के साथ चण्डा श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः,

    ॐ धूम्रायै नमः के साथ धूम्रा श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः

    और अन्त में ॐ रुद्रकाल्यै नमः के साथ रुद्रकाली श्री पादुकां पूजयामि

    तर्पयामि नमः मंत्र का उच्चारण करते हुये सातवें रुद्राक्ष को भी दीपक के सामने रख दें।

    इसके पश्चात् चमेली के दीपक पर पद्मावती देवी का आह्वान करते हुये एक मिट्टी

    के पात्र में गाय का कच्चा दूध, थोड़ा सा गुड़ और केसर डाल कर रख दें।

    मिट्टी का एक अन्य बर्तन लेकर उसमें गाय के कण्डे की सुलगती हुई आग रख कर उसे घी, गुगल, श्वेत चन्दन बुरादा, समुद्रफेन आदि के मिश्रण से तैयार की गई समिधा की आहुति देते हुये स्फटिक या श्वेत चन्दन माला पर अग्रांकित मंत्र की दस मालाओं का जाप सम्पन्न कर लें। माँ पद्मावती का जाप शुरू करने से पहले पूर्ण श्रद्धाभाव के साथ माँ के सामने अपनी प्रार्थना को दोहरा लेना चाहिये तथा उन्हीं की आज्ञा प्राप्त करके मंत्रजाप शुरू करना

    चाहिये।



    पद्मावती देवी का मंत्र इस प्रकार है-



    ॐ नमः भगवती पद्मावती ऋद्धि सिद्धि दायिनी, दुःख दारिद्रय हारिणी श्री

    श्री ॐ नमः कामाक्षायै नमः ह्रीं ह्रीं फट् स्वाहा । 

    जब दस मालाओं का मंत्रजाप पूर्ण हो जाये तो पूर्ण श्रद्धा एवं समर्पित भाव से

    मानसिक रूप से देवी को प्रणाम करें। मंत्रजाप से पहले पद्मावती देवी के सामने जो प्रार्थना की गयी थी, उसे एक बार पुनः दोहरा लें। आसन छोड़ने से पहले देवी की आज्ञा अवश्य प्राप्त कर लें। साथ ही पूजा में गुड़ के रूप में रखे गये नैवेद्य को किसी गाय को खिला दें।

    मिट्टी के पात्र में रखा दूध कुत्ते को पिला दें अथवा पीपल वृक्ष की जड़ पर चढ़ा दें। इस प्रकार प्रथम दिन का अनुष्ठान सम्पन्न हो जाता है। अनुष्ठान का यही क्रम

    निरन्तर अगले 40 दिन तक इसी प्रकार बनाये रखना चाहिये । इसमें प्रत्येक दिन चमेली का दीपक प्रज्ज्वलित करके चावल की ढेरी पर रखना और उसके सामने प्रथम दिन की भांति ही सात मातृकाओं के मंत्रोच्चार के साथ क्रमशः एक-एक करके सातों रुद्राक्ष को गंगाजल अथवा पंचामृत से स्नान कराकर रखते जाना चाहिये । प्रत्येक दिन मिट्टी के बर्तन में गाय का कच्चा दूध और गुड़ का नैवेद्य अवश्य रखना चाहिये । मिट्टी के दूसरे बर्तन में अग्नि प्रज्ज्वलित कर गूगल आदि की धूनी देनी चाहिये।

    इनके अलावा प्रतिदिन देवी पद्मावती के सामने अपनी प्रार्थना को दोहराकर उन्हीं की आज्ञा लेकर मंत्रजाप पूर्ण करना चाहिये । आसन छोड़ने से पहले भी उनकी आज्ञा प्राप्त कर लेनी चाहिये तथा पुनः अपनी प्रार्थना को दोहरा लेना चाहिये । इसके साथ ही गुड़ गाय को और दूध कुत्ते अथवा पीपल वृक्ष की जड़ पर चढ़ा देनी चाहिये । इस शाबर अनुष्ठान के समय अधिक संयम की आवश्यकता होती है। अगर अनुष्ठान के दौरान पूर्ण पवित्रता का ध्यान रखा जाये और साधना कक्ष में ही शयन किया जाये तो अनेक प्रकार की आलौकिक अनुभूतियां भी साधकों को होने लग जाती हैं। अनेक साधकों

    ने स्वप्न के दौरान देवी के दर्शन होने की बात स्वीकार की है। 40वें दिन, जब यह शाबर अनुष्ठान निर्विघ्न रूप से सम्पन्न हो जाये तो दो रुद्राक्षों को

    छोड़कर शेष समस्त पूजा सामग्री को एक नये श्वेत वस्त्र में बांधकर किसी कुर्ये में डलवा दें अथवा भूमि में गहरा गाढ़ दें। शेष दो रुद्राक्षों को लाल रेशमी धागे में पिरोकर अपने शरीर पर धारण कर लें। अनुष्ठान समाप्ति के दिन और उसके भी ग्यारह दिन बाद तक एक गाय को गुड़ खिलाते रहें । इसी तरह जिस दिन नौकरी की परीक्षा अथवा साक्षात्कार ( इंटरव्यू) आदि के लिये जायें तो उस दिन भी अपनी सुविधानुसार मंत्रजाप करके, गाय को गुड़ देकर जायें। नौकरी मिलने की सम्भावनायें बढ़ जाती हैं। यह शाबर अनुष्ठान असंख्य लोगों द्वारा परीक्षित है।




    नौकरी प्राप्त करने के लिये सामान्य एवं उपयोगी अन्य मंत्र :




    जो व्यक्ति लम्बे समय से नौकरी प्राप्ति के लिये प्रयास कर रहा है लेकिन उसे कहीं पर सफलता प्राप्त नहीं हो रही है तो उसे अग्रांकित मंत्र का प्रयोग करके लाभ लेना चाहिये-

    ॐ नमो आदेश गुरु को । धरती में बैठ्या लोहे का पिण्ड, राख लगाता गुरु

    गोरखनाथ। आवन्ता - जावन्ता - धावन्ता हाँक देत, धार-धार मार-मार । शब्द साँचा पिण्ड काँचा । फुरो मंत्र, ईश्वरो वाचा ।

    यह मंत्र अत्यन्त प्रभावी सिद्ध होता है। इसे शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि से जप करना प्रारम्भ करें। इसके लिये सूती अथवा ऊनी आसन का प्रयोग किया जाना चाहिये ।

    प्रतिदिन इस मंत्र का 108 बार जाप करें। यदि सम्भव हो तो उपरोक्त मंत्र जाप के साथ खीर से 10 आहुतियां अग्नि में भी दें। इससे अर्थाभाव में कमी आयेगी और मनवांछित नौकरी प्राप्त होने के अवसर बढ़ेंगे। इसमें एक विशेष बात यह ध्यान रखें कि उपाय करने के साथ-साथ आप नौकरी प्राप्त करने के लिये भरपूर प्रयास करते रहें। आप जितने अधिक कर्म इस दिशा में करेंगे उतने ही नौकरी प्राप्ति के अवसर बढ़ेंगे।

    एक अन्य मंत्र :

    यह मंत्र भी नौकरी प्राप्त करने में अत्यन्त सहायक सिद्ध हुआ है। असंख्य साधक इस मंत्र का प्रयोग कर नौकरी प्राप्त करने में सफल रहे हैं।

    पाठकों के लिये इस मंत्र का यहां उल्लेख कर रहा हूं। यह मंत्र भी अन्य मंत्रों की तरह सहज एवं सरल है तथा इसकी विधि भी बहुत आसान है। मंत्र इस प्रकार है-

    ॐ नमो नगन चीटी महावीर, हूं पूरो तोरी आश, तूं पूरो मोरी आश।

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    इस मंत्र का जाप 40 दिनों तक निरन्तर करना होता है। मंत्रजाप का श्रेष्ठ समय प्रातः काल माना गया है। इस उपाय में मंत्रजाप की संख्या आपकी क्षमता एवं इच्छा पर आधारित है। प्रतिदिन प्रातः काल नित्य कर्म से निवृत्त होकर उपरोक्त मंत्र का जितना संभव हो सके, उतना जाप करें।

    इसके साथ ही एक अन्य उपाय भी इस प्रकार से करें- भुने हुये चने, शर्करा

    एवं घृत को यथाशक्ति प्राप्त करके उन्हें पिसवा लें। इस पिसे हुये मिश्रण को थोड़ी मात्रा में लेकर प्रात:काल चींटी के बिलों के आस-पास डालें। ऐसा करते समय भी उपरोक्त मंत्र का मानसिक जाप करते रहे। इस मंत्र के प्रयोग से आपकी समस्त मनोकामनायें शीघ्र पूर्ण होंगी। अगर आपके कार्यों में कोई ग्रह बाधा डाल रहे हैं तो वह बाधायें भी दूर होंगी। जो व्यक्ति नौकरी की तलाश में हैं उन्हें शीघ्र ही नौकरी प्राप्त होने के अवसर प्राप्त होने लगेंगे।

    इस मंत्र एवं विधि के प्रभाव से जिन व्यक्तियों का भाग्य सोया हुआ है, उनका भाग्य उदय होगा। परिणामस्वरूप वे तीव्रता के साथ उन्नति के पथ पर अग्रसर होंगे |

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